Page 46 - Here_n_Now_Vol31__Dec2016
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Atul Yadav, ALHP
                                                                                                      atul.yadav@sbi.co.inc

                                                                                                      Poem written during
                                                                                                      Sunrise session
                                                                                                       at Goa. May 2016



                                                                                                      बिखरे हैं लोग यह ाँ से वह ाँ
                                                                                                      बिखरे हैं ववच र यह ाँ से वह ाँ
                                                                                                      बिखर गय  है सि क ु छ!


                                                                                                      क ु छ है मेरे प स

                                                                                                      क ु छ है उनके  प स
                                                                                                      प स-प स है सि क ु छ


                                                                                                      फिर भी नह ीं दिखती आस
                                                                                                      लेफकन ज न  है सिको वह ीं
                                                                                                      चलो एक किम तो िढ़ एीं
                                                                                                      श यि क ु छ कर ि आ ज एीं




                                                                                                                                      46
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