Page 33 - ISABS Here and Now
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ममऱे थे अजनबी से हमराही हम नए Shakti Roy
ये कै सा हु आ अजूबा, हमदम बन गए ||
कु छ हमने कहा, कु छ तुमने सुना Professional Member
कु छ तुमने कहा, कु छ हमने सुना shaktiroy55@yahoo.co.uk
बातों ही बातों में, सुर ददऱ के ममऱ गए ||
बड़ा मुश्ककऱ था ये सफर, जाना था ददऱ के अॊदर 33
झाकॉ ा तो ममऱा वहाॊ पर, जज्बातों का बवॊडर,
पर सबने हाथ बॊटाया, मॊश्जऱ को पा गए ||
पत्थरददऱ हो गए थे, गमजम ोशी की कमी थी,
एक दजू े से सीखा हमने, बाटॊ े कै से ददऱ की गमी |
गमामहट इतनी हो गई, पत्थर भी पपघऱ गए ||
डोना मसश्ववया ररसोटम, गोआ
26 मई 2015
ऱैब के अतॊ तम ददनों के भाव